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प्रसूता को दर्द नहीं हुआ और हो गया नॉर्मल प्रसव ….अम्बिकापुर लेज़र हॉस्पिटल के स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अपेक्षा सिंह और निश्चेतना विशेषज्ञ डाक्टर अनोज कुमार ने कराया संभाग का पहला दर्द रहित सामान्य प्रसव

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अम्बिकापुर।अब तक महानगरों में मिलने वाली यह सुविधा अब अंबिकापुर के लेजर अस्पताल में भी मिल रही है। गत दिवस एक महिला जो कि प्रसव कराने के लिए लेजर हॉस्पिटल में आई थी उसे सामान्य प्रसव का दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो उसने चिकित्सक से कहा कि मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती और मुझे आप सीजर ऑपरेशन कर दीजिए ।उस समय उसको पेनलेस लेबर का विकल्प दिया गया और उसे उसने चुना ।

उसके बाद उसने बिना दर्द के नॉर्मल डिलीवरी हुई और उसने कन्या को जन्म दिया । जच्चा और बच्चा दोनो ही स्वस्थ है और उनका पूरा परिवार आनंदित है।ज्ञातव्य है कि सामान्य प्रसव में गर्भाशय की मांसपेशियां विशेष प्रकार का संकुचन करते हैं जिसकी वजह से शिशु गर्भाशय के रास्ते से बाहर आता है।मांसपेशियों में होने वाले संकुचन के कारण मरीज को दर्द का एहसास होता है और प्रसव का जो दर्द है यह हड्डी टूटने के बराबर का दर्द होता है ऐसा एनेस्थीसिया विशेषज्ञ मानते हैं। किसी भी अंग से दर्द का एहसास करने वाली नस या ज्ञानेंद्रिय रीढ़ की हड्डी के रास्ते से दिमाग में पहुंचते हैं और उसके बाद ही दर्द का एहसास व्यक्ति को होता है।पेनलेस लेबर या दर्द रहित प्रसव में बच्चेदानी से निकलने वाली दर्द की तांत्रिकाएं विशेष प्रक्रिया द्वारा सुन्न कर दी जाती है । जिससे बच्चेदानी की मांस पेशियों में तनाव तो होता है ,संकुचन भी होता है ,लेकिन दर्द नहीं होता है ।

इस प्रकार से महिला सामान्य रूप से अपना गर्भाशय संकुचित करके जोर लगा करके शिशु को गर्भाशय के रास्ते से बाहर धकेल पाती है लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में होने वाला दर्द का एहसास उसको नहीं होता क्योंकि रीढ़ की हड्डी के बगल में एक सुई लगाकर दवाइयां के माध्यम से दर्द का एहसास करने वाली ज्ञानेंद्रिय को सुन्न कर दिया जाता है। सामान्य प्रसव के दो प्रमुख अंग होते हैं एक दर्द का आना जो की मांसपेशियों के तनाव के कारण आता है और दूसरा मांसपेशियों का तनाव । इस प्रक्रिया में दर्द को कम करते हुए तनाव को चौक क्यों रखा जाता है इसलिए सामान्य प्रसव संभव हो पता है।लेज़र अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ व संचालिका डॉ अपेक्षा सिंह ने बताया कि प्राय: यह देखा जा रहा है कि आजकल मध्यम वर्गीय या उच्च वर्गीय परिवारों में महिलाओं का पेन या दर्द सहने की क्षमता कम हो गई है । जिससे कई महिलाएं स्वयं डिमांड करके प्रसव पीड़ा न सह पाने के कारण सीजर ऑपरेशन करवा लेती है ऑपरेशन में पेट की मांसपेशियों को काटना पड़ता है पेट में टांके लगते हैं जिसकी वजह से शरीर कमजोर होता है और भविष्य में हर्निया आदि होने की संभावना बनी रहती है।पेन लेस लेबर के द्वारा बिना ऑपरेशन के बिना दर्द के सामान्य प्रसव होता है जिससे शरीर में किसी भी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुंचती और साथ ही दर्द का एहसास भी नहीं होता । यह पद्धति उन महिलाओं के लिए वरदान के समान है जो लेबर पेन या प्रसव का दर्द न सह पाने के कारण सीजर ऑपरेशन करवाने के लिए तैयार होती हैं ।यह प्रक्रिया कामकाजी व खेत खलिहान में काम करने वाली महिलाओं के लिए भी काफी लाभ प्रद है । क्योंकि यह उन्हें अनावश्यक आपरेशन से बचाकर उनका प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखती है ।

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