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छत्तीसगढ़ की सबसे ऊंची चोटी गौरलाटाः प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांच का अद्भुत सफर

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बलरामपुर / छत्तीसगढ़ के सुदूर उत्तर में स्थित बलरामपुर जिले की गौरलाटा चोटी राज्य की सबसे ऊंची चोटी होने का गौरव रखती है। समुद्र तल से 1,225 मीटर (4,022 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह चोटी कुसमी विकासखंड के अंतर्गत आती है। यह स्थान प्रकृति प्रेमियों, ट्रैकिंग के शौकीनों और शांत वातावरण की तलाश करने वाले पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय स्थल है। गौरलाटा न केवल अपनी ऊंचाई के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता इसे और खास बनाते हैं। गौरलाटा पर्यटन क्षेत्र के रूप में तेजी से उभर रहा है और इसे प्रमुख पर्यटक स्थल बनाने के लिए शासन द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। समय-समय पर एडवेंचरर्स टीमों को बुलाकर विभिन्न साहसिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्र के सौंदर्यीकरण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत कार्य योजनाएं बनाई गई हैं।

चोटी से दिखता है प्रकृति का अद्भुत नजारा

गौरलाटा चोटी से पूरे क्षेत्र का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है, हर तरफ घने जंगल, बहती नदियां, छोटे-छोटे गांव और दूर-दूर तक फैली पहाड़ियों की सुंदरता देखने को मिलती है। सूर्याेदय और सूर्यास्त के दृश्य जो रंगों की खूबसूरत छटा से आकाश को सजाते हैं। चोटी पर हवा में ताजगी और शांति का अहसास होता है। सर्दियों में यहां का मौसम और भी मनमोहक हो जाता है, जब ठंडी हवाएं पर्यटकों को प्रकृति का अहसास कराते हैं। यह चोटी शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का समागम है, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी चिंताओं को भुलाकर पूरी तरह से प्रकृति के साथ एकाकार हो सकता है। गौरलाटा चोटी का यह अनमोल दृश्य पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।

गौरलाटा चोटी का रोमांचक ट्रेकिंग अनुभव

गौरलाटा की चोटी तक पहुंचने के लिए आपको लगभग 8 से 10 किलोमीटर तक पैदल ट्रेकिंग करनी होती है। कुसमी विकासखंड के ग्राम इदरीपाट से गौरलाटा के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है। चोटी से सेमरसोत अभयारण्य का मनोरम दृश्य नजर आता है, जिसमे वन्य जीव और दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं। चोटी पर चढाई करते समय रास्ते में घने जंगल, चट्टानों और पथरीली पगडंडियों से गुजरना होता है, जो ट्रेकिंग को रोमांचक और साहसिक बनाता है। जिसमें आपको पहाड़ी झरने और छोटी नदियों के बहने मधुर आवास सुनाई देगी। अक्टूबर से फरवरी के बीच यहां ट्रेकिंग का सबसे अच्छा समय होता है, क्योंकि इस समय मौसम ठंडा और साफ रहता है। ठंडी हवा और स्वच्छ वातावरण के बीच ट्रेकिंग का अनुभव और भी आनंददायक होता है। यह स्थान एडवेंचर प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग की तरह है, जहां हर कदम पर नया रोमांच और अनुभव मिलता है।

आदिवासी संस्कृति की मिलती है झलक

गौरलाटा क्षेत्र न केवल प्राकृतिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं और अनूठी जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। आदिवासी त्यौहार और लोकगीत इस स्थान की सांस्कृतिक समृद्धि को और बढ़ाते हैं। स्थानीय लोग पर्यटकों का दिल खोलकर स्वागत करते हैं, जिससे यह स्थान पर्यटकों के लिए और भी यादगार बन जाता है। इसके अलावा स्थानीय आदिवासी संस्कृति और पारंपरिक व्यंजन भी पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र हैं। यहां आने वाले लोग न केवल प्रकृति का आनंद लेते हैं, बल्कि जिले की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी नजदीक से समझ पाते हैं। गौरलाटा पहुंचने के लिए बलरामपुर जिला मुख्यालय से 60-65 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

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