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2 मई तक एक और विक्षोभ सक्रिय होने की संभावना, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को किया अलर्ट… सरगुजा संभाग में कहीं-कहीं वज्रपात के साथ तेज हवा और बारिश की चेतावनी

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अम्बिकापुर मौसम केंद्र रायपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ रंजीत कुमार एवं यमलेश कुमार निषाद ने बताया कि वर्तमान में एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रीय है एवं आने वाले 02 मई तक एक और विक्षोभ सक्रीय होने की संभावना है l 29 अप्रैल को सरगुजा संभाग में कहीं कहीं पर तेज गरज चमक के साथ वज्रपात, 50-70 किमी/घंटे की गति से तेज हवा चलने और हल्की से मध्यम वर्षा होने की प्रबल संभावना है l इस दौरान घर से बाहर जाने से बचे l इस दौरान कृषि विशेषज्ञ डॉ सचिन कुमार जायसवाल एवं वैभव जायसवाल के अनुसार कृषि में ओला वृष्टि के लिए करने और न करने योग्य मुख्य बातें सुझाई गई है – ओलावृष्टि का प्रभाव आमतौर पर स्थानीय होता है, लेकिन फसलो को नुकसान विशेष रूप से महत्वपूर्ण चरणों और बुनियादी ढ़ांचो में महत्वपूर्ण हो सकता है l हल्की ओलावृष्टि के बाद भी कीट व रोग के हमले होते है l ओलावृष्टि की अधिक संभावना वाले क्षेत्रो में विशेष रूप से उच्च मूल्य वाली फसलो के लिए शेडनेट एक बेहतर विकल्प हो सकता है l पक्षियों को बचाने के लिए नायलोन के जाल भी फसलों को ओलावृष्टि के बचा सकते हैं l मुख्य फसल को भारी नुकसान से बचने के लिए हमेशा बाग़ के चारो ओर आश्रय पट्टी और हवा के झोंके रोकने की सलाह दी जाती है ये पानी की जरुरतो एवं अन्य दबाव को कम करेंगे lकेले की फसल, युवा फलो के पौधो को सहारा दें, लटकने से बचाने के लिए गन्ने की फसल/ सब्जियों को सम्हालने खूटियो का सहारा दें l कटी हुई फसलों को सुरक्षित स्थान पर रखें ओलावृष्टि के दौरान मवेशियों/ बकरियों को घर के अन्दर रखें l ऊँचे पेड़ लगायें ट्री शेल्टरबेल्ट उनके आसपास के क्षेत्र में ओलो से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते है l बाग़ की फसलो के लिए सभी टूटी हुई शाखाओ और टहनियों को हटाने की सलाह दी जाती है कवक द्वारा द्वितीयक संक्रमण से बचने के लिए अनुसंशित रसायनी का छिडकाव करना चाहिए l गिरे हुए फलों को हटा दें ताकि उनके सड़ने के दौरान रोग और कीटो का प्रसार कम हो सके l शाखाओ पर बड़े घावों को सूखापन और बीमारी के संक्रमण से बचाने के लिए पानी आधारित पेंट करने ढंकना चाहिए l नुकसान कम गंभीर होने पर किसानो को घबराने की जरुरत नहीं है l अगले अंकुरण तक यह तय करने के लिए प्रतीक्षा करें की बागों को पूरी तरह से छोड़ देना या पेड़ों को बदलना पर्याप्त होगा या नहीं l उचित वातान की सुविधा होने के लिए केले के खेतो से अतिरिक्त जमा पानी की निकासी करें l मुड़े हुए या क्षतिग्रस्त पेड़ों को बांस की डंडियों और जमीं में गड़े डंडियों से सहारा दें ओलावृष्टि के कारण कठोर/संकुचित खेतो को नरम करने के लिए हल्की सिंचाई करें l

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