बिश्रामपुर / एसईसीएल बिश्रामपुर क्षेत्र अंतर्गत संचालित आमगांव कोल खदान एक बार फिर चर्चा में है। कारण यह है कि कोयले के परिवहन के दौरान उठने वाली भयंकर धूल, जिसने ग्राम पंचायत साल्ही के मनवारपारा, खुरखुरी और कटनईपारा जैसे ग्रामीण इलाकों को मानो धूल का टापू बना डाला है। यह स्थिति कोई अचानक पैदा नहीं हुई है, बल्कि यह महीनों से ग्रामीणों की उपेक्षा का नतीजा है। मार्च 2025 में एसईसीएल प्रबंधन ने लिखित में यह आश्वासन दिया था कि ग्राम पंचायत साल्ही के प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन नियमित रूप से पानी का छिड़काव कराया जाएगा,

जिससे धूल नियंत्रण में रहे, लेकिन हकीकत ये है कि न छिड़काव हो रहा है, न निगरानी। ग्रामीणों ने बताया कि धूल इतनी अधिक है कि सुबह घर का दरवाजा खोलते ही नजरें धूल की मोटी परत पर जाती हैं। पानी, कपड़े, बर्तन, खिड़कियां, बच्चों की किताबें सब पर धूल जैसी परत जम जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे खेतों की मिट्टी अब उपजाऊ नहीं रही, धूल की चादर बिछ जाती है। जो धान उगता था, अब वो भी काला दिखने लगा है। बच्चे लगातार खांसी-जुकाम से पीड़ित हो रहे हैं। कोल परिवहन के लिए दिनभर दर्जनों भारी वाहन बगैर ढंके आमगांव खदान से होकर गुजरते हैं। न तो उनके ऊपर तिरपाल डाला जाता है, न ही मार्ग पर पानी का छिड़काव किया जाता है। कोल रोड पर पानी नहीं डाला जा रहा, जिससे धूल उड़कर सीधे घरों व खेतों में घुस जाती है।गर्मी में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब हवा के साथ यह धूल 100-200 मीटर तक उड़ती है। इस कारण से पेयजल स्रोत तक दूषित हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि मार्च 2025 में एक बैठक के दौरान एसईसीएल के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से लिखित रूप में भरोसा दिया था कि प्रभावित क्षेत्र में प्रतिदिन पानी का छिड़काव कराया जाएगा, डंपर ढंके हुए चलेंगे, धूलमुक्त परिवहन के लिए निगरानी टीम गठित होगी, लेकिन हकीकत में एक भी वादा जमीनी हकीकत में नहीं बदला। ग्रामवासियों ने अब एकमत होकर निर्णय लिया है कि यदि जल्द ही छिड़काव की व्यवस्था लागू नहीं हुई और सभी डंपरों को ढंके बिना चलने से नहीं रोका गया तो मजबूरन उग्र आंदोलन करना होगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।
Whatsapp बटन दबा कर इस न्यूज को शेयर जरूर करें
|
Advertising Space