लोक निर्माण के ईई हाईकोर्ट के आदेश को मानने से कर रहे इंकार,इंजीनियर्स एसोसियेशन ने मुख्य अभियंता से की शिकायत ….मामला स्थगन आदेश के बाद भी जॉइनिंग नहीं करने देने का,ईई के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव हुआ पारित
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अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने अंबिकापुर लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र कुमार सिंह पर हाई कोर्ट के स्थगन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता से की है। संगठन ने आरोप लगाते हुए कहा कि कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र कुमार सिंह अपने आप को उच्च न्यायालय से ऊपर
मान रहे हैं तभी वह हाई कोर्ट के आदेश को नहीं मान रहे हैं और चार अभियंताओं को जॉइनिंग नहीं करने दे रहे हैं।
संगठन ने मुख्य अभियंता से की हुई शिकायत में बताया कि लोक निर्माण विभाग अंबिकापुर के 4 उप अभियंताओं का राज्य शासन द्वारा सुकमा जिला में 24 सितंबर को तबादला किया गया था तबादला से क्षुब्ध होकर उक्त चारों अभियंताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका का दायर किया था। न्यायालय ने तबादला पर स्थगन आदेश देते हुए शासन के पास अभ्यावेदन प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया है और साथ ही जब तक शासन स्तर से निर्णय नहीं आता तब तक आदेश पर स्थगन प्राप्त है,उसके बावजूद कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र कुमार सिंह के द्वारा उक्त चारो अभियंताओं की उपस्थिति को स्वीकार नहीं किया जा रहा है।आरोप है कि इस संबंध में संगठन के सलाहकार एसके सिंह गत 22 अक्टूबर को न्यू सर्किट हाउस में वीरेंद्र कुमार सिंह कार्यपालन अभियंता से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन माननीय न्यायालय से ऊपर है,मै हाईकोर्ट के आदेश को नहीं मानता। यही नहीं कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र सिंह ने संघ के सचिव से अभद्र व्यवहार करते हुए अनादर करने का भी आरोप लगाया।कार्यपालन अभियंता वीरेंद्र कुमार सिंह के इस व्यवहार को लेकर संगठन ने उनके विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया है।
स्थानांतरित अभियंताओं द्वारा बताया गया कि उच्च न्यायालय के विषयांकित आदेश दिनांक के द्वारा दिये गये निर्णय के पालन हेतु छ०ग० शासन के समक्ष अभ्यावेदन भी प्रस्तुत की जा चुकी है, साथ ही स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध स्थगन भी प्रदान किया गया है। ऐसे स्थिति में कार्यपालन अभियंता बिरेन्द्र कुमार सिंह द्वारा ज्वाइनिंग लेने से मना करना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। साथ ही इनके यह भी बताया गया कि अभियंताओं द्वारा किसी भी प्रकार के प्रार्थना / आवेदन पत्र कार्यालय में सीधे या डाक पोस्ट के द्वारा भी स्वीकार नहीं किया जा रहा है। जो गंभीर कदाचार की श्रेणी में है।
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